बारिश के इस मौसम में
सफ़ेद काले बादलों के बीच
सूरज की ढलती किरणें
उन बादलों से छलकते
बूंदों का गिरना
हरी हरी घास के कोपलों पर
उन मोतियों का चमकना
शब् के अंधेरे में
चाँद की रौशनी
और उस चांदनी में नहाती
उस चेहरे की चमक
उन लबों में
अधखुली मुस्कराहट का बिखरना
दूर किसी ढोल कीआवाज़
किसी शहनाई की तड़प
किसी बांसुरी की लहर
और उन साजों का यूँ ही बजते रहना
सुबह शाम दुपहर
एक बड़ी सी ईमारत
इक छोटा सा कमरा
अंधेरे को चीरती
लैंप की हलकी सी रौशनी
और यादें
यादें
अनकही अनछुई अजीबो-गरीब
अनोखे एहसास जगाती
कांपती हुई ,धुंधली सी
यादें ...इक नै दुनिया में ले जाती
वो दुनिया जो अतीत है
क्यूँ? पता नही ..कब से ? जनता नही ॥
और फ़िर एक ख्वाहिश
उस वक्त में जाने की
इक इंतज़ार ..उस वक्त से किसी के आने की
फ़िर कुछ आहें
हवाओं में यूँ अपलक देखना
फ़िर एक लम्बी सी साँस
सुन्न एहसास से किसी वजूद का बाहर आना
और अपनी प्यारी यादों को
फ़िर इक बार सोच ..मुस्कुराना :) :)
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very well written....memories become inseparable part f u......
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