Monday, March 30, 2009

ख्वाहिश ..!!

जिंदगी एक छलावा लग रहा है

दिल की गुजारिश
समझ नही पा रहा

हर पल नए दर्द की

फरमाइश हो रही है

फूलों की जुस्तजू

इक सपना है ..और काँटों की

नुमाइश हो रही है

कुछ दुश्मनी हो गई है

शायद

अपने वजूद से

यूँ ख़ुद से ही ख़ुद की

आजमाइश हो रही है

जिंदगी के बहार

से प्यारे

पतझर के कांटे लग रहे हैं

ना जाने क्यूँ आज

मौत की ख्वाहिश हो रही है





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