Tuesday, March 24, 2009

ख्वाब

भीगते रहे बारिशो में अक्सर
कभी माँगा किसी से पनाह तो नही
हसरतें पुरी न हो तो न ही सही
ख्वाब देखना कोई गुनाह तो नही

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